"A Room Without Books is Like a Body Without a Soul" -- Marcus Tullius Cicero               "Never say I can't do this. Because you are infinite and you can do anything."- Swami Vivekananda             “सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए। मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए। - "दुष्यंत कुमार"|               "कौन कहता है आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों"             

    ("पुस्तकों के बिना एक कमरा आत्मा के बिना शरीर के समान है" - मार्कस ट्यूलियस सिसेरो)                       (कभी भी ये न कहें कि मैं यह नहीं कर सकता | क्योकि आप अनंत हैं और आप कुछ भी कर सकते हैं |" - स्वामी विवेकानंद)

About the Library

पुस्तकालय राजकीय उच्च माध्यमिक विधालय, दुर्गापुरा, जयपुर में खुली पहुँच प्रणाली को अपनाया गया है, जिसमें पाठक (छात्र एवं अध्यापक) ग्रन्थ तक बिना किसी रुकावट के जाता है और अपनी पसंदीदा ग्रन्थ ढूढ़कर उसे पुस्तकालयाध्यक्ष तक लाता है | पाठक निर्धारित प्रक्रिया के उपरांत उस ग्रन्थ को ले जा सकता है और वापसी में निर्धारित प्रक्रिया के उपरांत ग्रन्थ को पुनः उसी जगह रखता है |

खुली पहुँच प्रणाली में पाठक अपनी रुचिकर एवं पसंदीदा ग्रन्थ चयन कर सकता है और पाठक को पुस्तकालय के अन्य ग्रंथो के बारे में भी मालूम चलता है |


Open access system has been adopted in the library of Government Higher Secondary School, Durgapura, Jaipur, in which the reader (students and teachers) gets access to the book without any hindrance and finds his favorite book and brings it to the librarian. The reader can take the book after the prescribed procedure and on returning can put the book back at the same place.

In open access system the reader can select his interesting and favorite book and can also know about other books in the library.